Israel Attack Qatar Doha Arab Islamic Summit: सोचिए, एक तरफ खाड़ी की रेत, चमचमाती स्काईलाइन और अमीरों का स्वर्ग कहे जाने वाला कतर और दूसरी तरफ जंग का साया। सोमवार, 15 सितंबर से दोहा में अरब-इस्लामिक समिट प्रारम्भ हो रहा है। इसमें पचास से अधिक मुसलमान देशों के बड़े नेता और प्रतिनिधि जुटने वाले हैं। लेकिन प्रश्न ये है कि आखिर किस बात ने इस बार सबको एक मंच पर ला दिया?
हमला जिसने तस्वीर बदल दी
अब तक मुसलमान दुनिया गजा में हुए इजराइली हमलों पर गुस्से में थी। लेकिन 9 सितंबर को जो हुआ, उसने पूरा समीकरण बदल दिया। इजराइल ने सीधा कतर पर धावा कर दिया। और यही धावा अब इस समिट का वास्तविक ट्रिगर है। अरब लीग और इस्लामी योगदान संगठन (OIC) के सदस्य राष्ट्रों के विदेश मंत्री रविवार (14 सितंबर) को मिले और एक ड्राफ्ट रिजॉल्यूशन पर चर्चा की। अरब लीग के सेक्रेटरी जनरल अहमद अबुल गैते ने साफ बोला है कि कतर अकेला नहीं है, अरब और इस्लामी देश उसके साथ खड़े हैं।
नेतन्याहू का अल्टीमेटम
जब मुसलमान देशों ने मिलकर इजराइल को घेरना प्रारम्भ किया, तो पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कठोर लहजा अपनाया। उनका बयान था कि जहां भी शत्रु छुपा होगा, वहीं जाकर मारेंगे। नेतन्याहू ने दोहा गवर्नमेंट से बोला कि या तो हमास नेताओं को निकालो या हमें सौंप दो। अन्यथा हम स्वयं कर लेंगे। उधर, कतर का बोलना है कि वो गजा में चल रही लगभग दो वर्ष पुरानी जंग को समाप्त करने की प्रयास में जुटा है, लेकिन इज़राइल की हरकतें शांति की आशा तोड़ रही हैं।
यूएई की नाराजगी, रिश्तों पर सवाल
यूएई, जिसने 2020 में अब्राहम अकॉर्ड के अनुसार इजराइल से दोस्ती की थी और जिसे खाड़ी का सबसे बड़ा अमेरिकी सहयोगी माना जाता है, अब स्वयं नाराज नजर आ रहा है। शुक्रवार को यूएई ने इजराइल के डिप्टी एम्बेसडर को तलब किया। नेतन्याहू के बयानों को hostile बताया। यूएई ने बोला कि कतर की स्थिरता GCC देशों, जिसमें सऊदी अरब भी है, की सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
ट्रंप के लिए कठिन घड़ी
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भी हालत असहज है। वो इज़राइल के करीबी भी हैं और कतर को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते। उन्होंने बोला कि इजराइल का धावा न उनके लिए लाभ वाला रहा, न इजराइल के लिए। कतर को उन्होंने “करीबी दोस्त” बताया, जो शांति की प्रयास कर रहा है।
ट्रंप ने हमास को समाप्त करने की प्रयास को “काबिले तारीफ” बताया, लेकिन कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से टेलीफोन पर ये भरोसा भी दिलाया कि आपकी जमीन पर ऐसा धावा दोबारा नहीं होगा। उधर, नेतन्याहू ने 13 सितंबर को फिर बोला कि यदि कतर से हमास नेताओं को बाहर कर दिया जाए, तो गजा में बचे बंधकों की रिहाई आसान होगी और युद्ध समाप्त करने का रास्ता खुलेगा।
Israel Attack Qatar Doha Arab Islamic Summit: आगे क्या?
इस्लामी राष्ट्रों का यह इमरजेंसी समिट सिर्फ़ औपचारिकता नहीं है। कतर पर धावा मुसलमान देशों की एकता का नया आधार बना है। यूएई और इजराइल के रिश्तों पर बड़ा प्रश्न खड़ा हो गया है। अमेरिका बीच में फंसा हुआ है, जिसे दोनों तरफ संतुलन साधना है। यानी आने वाले दिनों में दोहा की मीटिंग केवल बयानबाजी तक सीमित नहीं रहेगी। यहां लिए गए निर्णय मिडल ईस्ट की राजनीति और आने वाले हालात तय करेंगे।