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Gut-friendly Indian dishes: पेट की सेहत के लिए बेहतरीन होते हैं फर्मेंटेड भारतीय खाद्य पदार्थ

by admin477351

Fermented Indian Foods For Digestion:भारत में सदियों से कुछ ऐसे पारंपरिक फर्मेंटेड फूड्स उपस्थित हैं जो न केवल स्वाद में बेहतरीन होते हैं, बल्कि पेट को स्वस्थ रखने में भी बहुत असरदार साबित होते हैं। ये फूड्स नैचुरली प्रोबायोटिक होते हैं, यानी इनमें ऐसे गुड बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो आंतों को हेल्‍दी रखते हैं और डाइजेशन को बेहतर बनाते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही फर्मेंटेड भारतीय फूड्स के बारे में, जो आपके पेट की स्वास्थ्य बेहतर कर दे।

दक्षिण भारतीय भोजन में इडली और डोसा बहुत लोकप्रिय हैं। इनका बैटर चावल और उड़द दाल को भिगोकर, पीसकर और फर्मेंट करके तैयार किया जाता है। यह फर्मेंटेशन प्रक्रिया बैटर को न सिर्फ़ स्वादिष्ट बनाती है बल्कि इसमें नैचुरल प्रोबायोटिक गुण भी भर देती है, जो पेट के लिए बहुत लाभ वाला होते हैं।

कांजी एक पारंपरिक भारतीय ड्रिंक है, जो काले गाजर, सरसों और पानी से बनाई जाती है। यह उत्तर हिंदुस्तान में खासकर सर्दियों में बनाई जाती है। कांजी पाचन को सुधारती है, भूख बढ़ाती है और शरीर को डिटॉक्स करती है। इसके खट्टेपन में जो गुण हैं, वे पेट में एसिड बैलेंस को बनाए रखते हैं।

भारतीय अचार केवल स्वाद में नहीं, स्वास्थ्य में भी कमाल के होते हैं—अगर वे नैचुरल ढंग से फर्मेंट किए गए हों। नींबू, आम, आंवला या मिर्च का अचार जब बिना प्रिजर्वेटिव के तैयार किया जाता है, तो यह गुड बैक्टीरिया से भरपूर होता है, जो आंतों के लिए लाभ वाला होता है। हां, ध्यान रखें कि इनका सेवन सीमित मात्रा में ही करें क्योंकि इनमें नमक और ऑयल अधिक होता है।

गुजराती व्यंजन ढोकला को बेसन या चने की दाल से फर्मेंट करके तैयार किया जाता है। इसका फर्मेंटेड बैटर पाचन को आसान बनाता है। ढोकला हल्का, स्पंजी और कम ऑयल में पकने वाला नाश्ता है, जो पेट को भरा भी रखता है और गैस या अपच जैसी समस्याओं से राहत भी देता है।

दही से बना छाछ हिंदुस्तान के हर कोने में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है। गर्मियों में तो यह शरीर को ठंडक देने वाला सबसे बेहतरीन ड्रिंक है। इसमें लैक्टिक एसिड और प्रोबायोटिक्स होते हैं जो आंतों के बैक्टीरिया बैलेंस को सुधारते हैं। छाछ एसिडिटी, गैस और भारीपन जैसी समस्याओं से राहत देता है। जीरा और काली नमक डालकर पीना और भी लाभ वाला होता है।

पूर्वी भारत, ओडिशा, असम और बंगाल में चावल को रातभर पानी में भिगोकर अगली सुबह खाया जाता है। इसे पखाल भात या पेज बोला जाता है। यह एक प्राकृतिक रूप से फर्मेंटेड फूड होता है, जिसमें गुड बैक्टीरिया विकसित हो जाते हैं। यह पेट को ठंडक देता है, डाइजेशन में सहायता करता है और शरीर को हाइड्रेटेड रखता है। ग्रामीण हिंदुस्तान में यह आज भी स्वास्थ्यवर्धक भोजन माना जाता है।

उत्तर हिंदुस्तान में सर्दियों में बनने वाली सौंठ वाली कांजी या चावल की कांजी पेट के लिए अमृत समान है। चावल के पानी को फर्मेंट करके इसे तैयार किया जाता है। यह शरीर को अंदर से डिटॉक्स करती है और पेट में बैक्टीरिया बैलेंस को बेहतर बनाती है। जिन लोगों को बार-बार पेट की समस्याएं होती हैं, उनके लिए यह घरेलू उपचार बहुत लाभ वाला हो सकता है।

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